साल में एक बार ही जीएसटी दरों में बदलाव।

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, कोलकाता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल में एक ही बार जीएसटी दरों में बदलाव के संकेत दिए हैं। रविवार को उन्होंने कोलकाता में कहा, हर तीन माह में समीक्षा से कारोबारियों को भी दिक्कत होती है और सरकार भी राजस्व संग्रह का सही अनुमान नहीं लगा पाती है। इसे देखते हुए उन्होंने जीएसटी काउंसिल को सलाह दी है कि साल में सिर्फ एक बार दरों में बदलाव के बारे में विचार किया जाए। इससे सरकार और उद्योग जगत दोनों को आसानी होगी। वर्तमान में जीएसटी काउंसिल हर तीन महीने पर दरों की समीक्षा करती है।इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) में 12 फीसद तक हिस्सेदारी की बिक्री कर सकती है। कंपनी की शेष हिस्सेदारी सरकार के पास रहेगी। पेट्रोल-डीजल दरों को जीएसटी में शामिल करने के बारे में कहा, राज्य एकमत हों, तो काउंसिल इस बारे में विचार कर सकती है।बजट के बाद कोलकाता में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए सीतारमण ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को पूंजी की उपलब्धता से संबंधित सवालों के भी जवाब दिए। उन्होंने कहा, सरकारी व निजी बैंक इस क्षेत्र को कितना कर्ज दे रहे हैं, इस पर कई सचिवों की पैनी नजर है। सरकार इस सेक्टर में पूंजी उपलब्धता के लिए हरसंभव कदम पर काम कर रही है। वित्त मंत्री का कहना था कि डायरेक्ट टैक्स के नए कानूनों से बचत और निवेश घटने की आशंकाएं बेबुनियाद हैं।वित्त मंत्री ने रविवार को स्पष्ट किया कि सरकार उद्योगों और कारोबारों के साथ लगातार जुड़े रहना चाहती है तथा टैक्स भुगतान को सहज बनाने के लिए उनकी सहायता करेगी। सरकार उद्यमियों और व्यवसायियों से निरंतर संवाद रखना चाहती है। केंद्र सरकार ने टैक्स मामलों में अपील करने तथा भुगतान प्रक्रिया में करदाताओं को अधिकारियों के सामने पेश होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है और यह नई तकनीक से ही संभव है। इस दौरान मौजूद केंद्रीय वित्त सचिव राजीव कुमार ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कारोबार में असली विफलता और धोखाधड़ी के बीच फर्क करने के लिये एक समिति गठित की है।
वित्त मंत्री ने कहा, इससे उद्योग जगत को मिलेगी मदद, दरों में सुधार के लिए आगे आएं राज्य

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